`लोकतंत्र की बुनियादी पाठशाला को कुचलती सत्ता की समवेत सहमति`

`लोकतंत्र की बुनियादी पाठशाला को कुचलती सत्ता की समवेत सहमति`: नीतीश कुमार, सुशील मोदी के सामने तेजस्वी यादव क्यों बौने साबित हो रहे है? क्या सिर्फ पीढ़ीगत अंतर के चलते? अरुण जेटली के बाद दिल्ली बीजेपी में शून्य सा क्यों है?क्यों मनोज तिवारी हल्के और प्रभावहीन दिखते है वहां? दिग्विजय सिंह की तरह मप्र की सियासत में पकड़ दूसरी पीढ़ी के कांग्रेस नेताओं की क्यों नही है?

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